योगी आदित्यनाथ के वादे और सच्चाई! | योगी आदित्यनाथ के दावों और सच्चाई के बीच के फासले | योगी सरकार के भ्रष्टाचार
उत्तर प्रदेश में सरकारी भ्रष्टाचार कैंसर की तरह जड़े जमाए हुए है। गत वर्ष इंडियन करप्शन सर्वे ने जब 2019 की रिपोर्ट तैयार की तो इसमें सबसे भ्रष्ट राज्यों की सूची में चौथे नंबर पर उत्तर प्रदेश का नाम आया। सर्वे टीम ने जिन लोगों से बात की उसमें से 74 प्रतिशत लोगों का कहना था कि भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलने वाली योगी सरकार में भी उन्हें रिश्वत देकर अपना काम निकालने को मजबूर होना पड़ा था, जबकि 57 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने कई बार रिश्वत दी है।
कुछ महीने पहले पीएफ घोटाला, फिर शिक्षक भर्ती और पुशपालन विभाग में टेंडर घोटाले से जाहिर है कि तमाम सख्ती के बाद भी अधिकारी-कर्मचारी और ठेकेदार घपले-घोटाले करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसके बावजूद तमाम तरह के घोटाले में आरोपितों की दुस्साहिसक कार्यशैली से लगता है कि सरकार की सख्त नीति भी भ्रष्टाचारी तंत्र में खौफ पैदा नहीं कर पाई है। पशुपालन घोटाले का तो यह हाल था कि घोटालेबाजों ने सरकार की नाक के नीचे सचिवलाय में न सिर्फ फर्जी कार्यालय खोल लिया, बल्कि वहां फर्जी अधिकारी बैठाकर ठेकेदार के साथ डीलिंग भी चलती रही। अंततः आरोपित उससे 9.72 करोड़ रूपये ठगने में सफल रहे। कस्तूरबा बालिका विद्यालयों का प्रकरण भी इस तरह चौंकाने वाला है, जिसमें जालसाजों ने अभ्यर्थी अनामिका शुक्ला के नाम और शैक्षिक दस्तावेजों का दुरुपयोग करके 25 जिलों में शिक्षिकाओं की फर्जी नियुक्तियां करवा दीं।
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